Saturday 30 April 2011

DR. SHIV OM AMBER 'S FAVOURITE LINES.

डॉ. शिव ॐ अम्बर की  कुछ विशिष्ट  पंक्तिया ,,,,

. लफ्जो में हुंकार बिठा
  लहजो में खुद्दारी रख
  जीने की ख्वाहिश है तो
  मरने की तैयारी रख ,

सबके सुख में शामिल हो ,
दुःख में साझेदारी रख ,
श्री मदभागवत गीता पढ़
युद्ध निरंतर जारी रख,

२.राजभवनो की तरफ न जाये फरियादे
   पत्थरो के पास  अभ्यंतर नहीं होता |
   ये सियासत की तवायफ का दुप्पट्टा है
   ये किसी के आंसुओं से तर नहीं होता .

३.  सांप यु ही नही लिपटते है ,
आपकी देह संदली होगी.
    कृष्ण के पांव में पड़े छाले ,
राधा धूप में चली होगी .

४.माँ
मुझको लगती चोट तड़प उठती थी वो ,
मेरी सिसकी उसको बहुत सताती थी .
अक्सर निर्जल  एकादशिया  जीती मां
मेरी चिंता में जलती संझवाती थी .
उसके चरणों में थी मेरी गंगोत्री ,
उनको छूता था कालिख धुल जाती थी .

५.नागफनियो की गली इठला रही है ,
    वैष्णवी तुलसी यहाँ  कुम्हला  रही है .
फिर कही से दर्द के सिक्के मिलेंगे
 ये हथेली आज फिर खुजला रही है.

६.सभी नागमत ऊँचे गले से गाये नहीं जाते,
 जिगर के जख्म चौराहे पर दिखलाये नहीं जाते .
 हमेशा हादसों के हाथ पे हमने रखी गजले,
 भिखारी हमसे खाली हाथ लौटाए नहीं जाते.

७.फांको  को भी मस्ती में जीते है,
बस्ती बस्ती फरियाद नहीं करते.
सच कहते है अथवा चुप रहते है,
हम लफ्जो को बर्बाद नहीं करते.





               


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