राजभवनो की तरफ न जाये फरियादे पत्थरो के पास अभ्यंतर नहीं होता | ये सियासत की तवायफ का दुप्पट्टा है ये किसी के आंसुओं से तर नहीं होता . लफ्जों में हुंकार बिठा ,लहजों में खुद्दारी रख, जीने की ख्वाहिश है तो मरने की तैयारी रख .
Saturday 15 December 2012
Tuesday 25 September 2012
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