राजभवनो की तरफ न जाये फरियादे पत्थरो के पास अभ्यंतर नहीं होता |
ये सियासत की तवायफ का दुप्पट्टा है ये किसी के आंसुओं से तर नहीं होता .
लफ्जों में हुंकार बिठा ,लहजों में खुद्दारी रख,
जीने की ख्वाहिश है तो मरने की तैयारी रख .
Wednesday, 24 August 2011
soya mera lal ......................
सोया मेरा लाल ........................................
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