Sunday, 1 September 2024

 

 
विष पीना विस्मय मत करना


सुविधा से परिणय मत करना,
अपना क्रय-विक्रय मत करना।
भटकायेंगी मृगतृष्णाएँ,
स्वप्नों का संचय मत करना।
कवि की कुल पूँजी हैं ये ही,
शब्दों का उपव्यय मत करना।
हँसकर सहना आघातों को,
झुकना मत, अनुनय मत करना।
सुकरातों का भाग्य यही है,
विष पीना विस्मय मत करना।


- डॉ० शिव ओम अम्बर