राजभवनो की तरफ न जाये फरियादे पत्थरो के पास अभ्यंतर नहीं होता | ये सियासत की तवायफ का दुप्पट्टा है ये किसी के आंसुओं से तर नहीं होता . लफ्जों में हुंकार बिठा ,लहजों में खुद्दारी रख, जीने की ख्वाहिश है तो मरने की तैयारी रख .
Nice to see the blog of Amber ji.....Hope the creator of blog will update it regularly....Regards
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