राजभवनो की तरफ न जाये फरियादे पत्थरो के पास अभ्यंतर नहीं होता |
ये सियासत की तवायफ का दुप्पट्टा है ये किसी के आंसुओं से तर नहीं होता .
लफ्जों में हुंकार बिठा ,लहजों में खुद्दारी रख,
जीने की ख्वाहिश है तो मरने की तैयारी रख .
Thursday, 19 May 2011
jvalant
ज्वलंत राष्ट्र -चैतन्य के जीवंत दृष्टान्त स्वातंत्र्यवीर सावरकर ,
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